संवर रही है आज वो किसी और के लिए,
लेकिन मैं आज भी बिखर रहा हूँ उसके लिए।
यू तो जिंदगी तुझसे शिकायते बहुत थी,
मगर दर्द जब दर्ज कराने पहुंचे तो कतारे बहुत थी।
गलत जगह सम्मान दे दिया व्यर्थ दे दिया प्यार,
हीरे की कीमत क्या जाने कचरे के ठेकेदार।
माना की जिंदगी में दिक्कतें कम नहीं,
पर जीने को जिंदगी है क्या यही काफी नहीं।
तेरे जाने से तो कुछ बदला नहीं,
रात भी आयी मगर नींद आई नहीं।
रूठने का हक़ है तुझे पर वजह बताया कर,
खफा होना गलत नहीं पर तू खता बताया कर।
अकेला खुश हूँ मैं अब परेशांन मत कर,
इश्क़ है तो इश्क़ कर अब एहसान मत कर।
क्या बात है आज बड़े चुपचाप से बैठे हो,
कोई बात दिल पर लगी है या दिल लगा बैठे हो।
वो कभी डरा ही नहीं मुझे खोने से,
वो क्या अफ़सोस करेंगे मेरे न होने से।
साथ मेरे बैठा था पर किसी और के करीब था,
वो अपना सा लगने वाला किसी और का नसीब था।
हाथ छूटें भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते,
वक़्त की शाख़ से लम्हे नहीं तोड़ा करते।
मेरे शहर में कुछ ऐसे लोग रहते है,
जो जिस्म की भूख को इश्क़ कहते है।
खुली किताब के सफ़्हे उलटते रहते हैं,
हवा चले न चले दिन बदलते रहते है।
हाथ भी छूटें तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते,
वक़्त की शाख़ से लम्हे नहीं तोड़ा करते।
ख़ुशबू जैसे लोग मिले अफ़्साने में,
एक पुराना ख़त खोला अनजाने में।
दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई,
जैसे एहसान उतारता है कोई।
यूँ भी इक बार तो होता कि समुंदर बहता,
कोई एहसास तो दरिया के आने का होता।
लगता है ज़िन्दगी आज खफा है,
चलिए छोड़िये ये कोनसी पहली दफा है।
तु़मसे मिला जो प्यार कु़छ अच्छे नसीब थे मेरे,
हम उन दिनों अमीर थे जब तुम करीब थे मेरे।