कितने मासूम होते है ये आँखों के आँसू भी,
ये निकलते भी उन के लिए हैं,
जिन्हे इनकी परवाह तक नहीं होती !

मुझे तलाश है जो मेरी रुह से प्यार करे,
वरना इन्सान तो पैसों से भी मिल जाया करते हैं !

मुझे मजबूर करती हैं यादें तेरी वरना,
शायरी करना अब मुझे अच्छा नहीं लगता !

कुछ दूर हमारे साथ चलो,
हम दिल की कहानी कह देंगे,
समझे ना जिसे तुम आखो से,
वो बात जुबानी कह देंगे !

पूरा हक है तेरा मुझ पे तू सब जताया कर,
मैं ना पूछूँ मुझे फिर भी सब बताया कर !!

अजीब सा प्यार था उसकी उदास आँखों में,
महसूस तक न हुआ की मुलाकात आखरी है !

अजीब सा प्यार था उसकी उदास आँखों में,
महसूस तक न हुआ की मुलाकात आखरी है !

शायर कहकर बदनाम न कर मुझे,
मैं तो रोज शाम को दिनभर का हिसाब लिखता हूँ !

इक नाम जो तेरा लिख दिया मैंने रेत पर,
उम्र भर हवा से फिर दुश्मनी रही !

रोज रोज गिरकर भी मुकम्मल खड़ा हूँ,
ऐ मुश्किलों देखो मैं तुमसे कितना बड़ा हूँ !

हर इंसान का दिल बुरा नही होता,
हर एक इंसान बेवफा नही होता,
बुझ जाते है दिए कभी तेल की कमी से,
हर बार कुसूर हवा का नही होता !

मोहब्बत का दर्द भी क्या खूब होता है,
न चुभता है न दिखता है बस महसूस होता है।

वो कातिल रातें जब हम,
तारों की बातें करते थे,
पतझड़ के सूने मौसम मे,
बहारों की बातें करते थे !

ये दरिया-ए-इश्क है, कदम जरा सोच के रखना,
इस में उतर कर किसी को किनारा नहीं मिला !

अदा कातिल बयां कातिल ज़ुबान कातिल निगाह कातिल,
तुम्हारा सिलसिला शायद किसी कातिल से मिलता है !

तुम से मिल कर इमली मीठी लगती है,
तुम से बिछड़ कर शहद भी खारा लगता है !

तन्हाइयों का एक अलग ही सुरुर होता है,
इसमें डर नहीं होता.किसी से बिछड जाने का !

में खुद हैरान हूँ की इतनी मोहब्बत क्यों है मुझे तुझसे,
जब भी प्यार शब्द आता है,
चेहरा तेरा ही याद आता है !

शायरों की बस्ती में कदम रखा तो जाना,
गमों की महफिल भी कमाल की जमती है !

वो हमें खुद इतना मजबूर कर गए,
ना चाहकर भी हमें खुद से दूर कर गए,
दिल इबादत करता था जिनकी सबसे,
वो ना जाने कैसे मौसम की तरह बदल गए !