क्या पता अब तुमसे मिलना हो न हो,
चाह के फूलों का खिलना हो न हो,
बिन मिले ही या कहोगे अलविदा !
अलविदा कहते डर लगता है,
मन क्यूँ दीवाना सा लगता है !
क्या पता अब तुमसे मिलना हो न हो,
चाह के फूलों का खिलना हो न हो,
बिन मिले ही या कहोगे अलविदा !!
ना करना हमसे प्यार का फिर झुठा वादा,
माँगी है आज दुआ के तुझे भुल जाएँ हम !
अलविदा कहते डर लगता है,
मन क्यूँ दीवाना सा लगता है !
पास थे तो रोने की वजह बनते थे,
दूर जाकर शायद मुस्कुराना सीख लें !
रुक सी गयी है जिन्दगी आज भी वही,
जिस मोड़ पर तुम ने अलविदा कहा था !
बहुत अच्छी लगी हमे उसकी ये अदा,
पहले अपनापन फिर इश्क मोहब्बत और फिर अलविदा !
अभी तो सफर शुरू भी नही हुआ,
तुमनें अभी से अलविदा कहने का मन बना लिया !
जिंदगी में तन्हा रहना तो मुमकिन नहीं,
तेरे साथ चलना दुनिया को गवारा भी नहीं,
इसलिए तेरा-मेरा दूर जाना ही बेहतर है !
तुमसे हमको कहनी है वह बात आखिरी है,
पता नहीं फिर कब मिलन के लम्हे आएंगे,
शायद तुम्हारा और हमारा साथ आखिरी है ।
लिपट लिपट कर कह रही है,
ये आखरी शाम अलविदा कहने से पहले,
एक बार गले तो लगा लो !
बेशक अब हम दोनों जुदा है पर,
अब भी कुछ है बाकी जिससे ये रिश्ता जुड़ा है !
कह दिया उसने अलविदा
जिसने कभी जुदा होने के
बारे में सोचा भी नहीं था।
मेरा कलेजा फट कर रह गया उस वक्त,
इस वक्त पलट कर अलविदा कहा उसने !
उसे अलविदा कह कर मैं खुश था,
क्यूंकि वो मुझे अलविदा कह कर नाखुश नहीं थी !
अलविदा कहते हुए जब उनसे कोई निशानी मांगी,
वो मुस्कुराते हुए बोले जुदाई काफी नहीं क्या !
अलविदा ए गम ए यार तेरी जान छोड़ दी हमने,
लिख कर आज खुद को बेवफा कलम तोड़ दी हमने !
हर पल घुट-घुट के जीता हूँ,
जब से मैं तुझसे दूर हुआ हूँ !
अजीब यादें हैं तेरे इश्क की,
जो ये तेरा ही इंतजार करती हैं,
अलविदा कहते वक्त बेकरार करती हैं !