मैं तो यूँ ही सफर पर निकला था,
एक अजनबी मिला और उसने अपना बना लिया !
वो जीवन में क्या आये बदल गयी जिंदगी हमारी,
वरना सफर ए-जिंदगी कट रही थी धीरे-धीरे !
जिंदगी की खूबसूरती देखना है,
तो कभी सफर पर निकलो !
अगर अपने आप से ऊब जाए तो,
जरूर सफर पर निकल जाय,
हो सकता है की आपकी जिंगदी संवर जाए !
अब जाना मैंने ज़िंदगी क्या है,
सफर में भी हूँ लेकिन जाना कहीं नहीं है !
अजीब सा सफर है ये ज़िंदगी,
मंजिल मिलती है मौत के बाद !
कुछ सपने पुरे करने हैं,
कुछ मंजिलों से मिलना है,
अभी सफर सुरु हुआ है,
मुझे बहुत दूर तक चलना है !
अपनी मर्जी से कहां अपने सफर के हम हैं,
रुख हवाओं का जिधर का है उधर के हम हैं !
हम जितनी दुनिया देखते जाते है,
हमारी नजरिया का दायरा उतना ही,
बढ़ जाता है !
जिन्दगी के सफर में ये बात भी आम रही
की मोड़ तो आये कई मगर मंजिले गुमनाम रही !
यू ही हाथ थाम मेरा साथ निभाना,
जिंदगी का सफर संग है तेरे बिताना!
ज़िंदगी एक ऐसा सफर है,
जिसकी राह ही इसकी मंजिल है !
जिंदगी के सफर में हिंदी वाला सफर करते रहिये,
वर्ना अंग्रेजी वाला Suffer तो लगा ही रहेगा !
जिन्दगी से मौत तक के सफर को ही,
ज़िन्दगी कहते हैं !!
अजीब सी पहेलियां हैं मेरे हाथों की लकीरों में,
लिखा तो है सफर मगर मंजिल का निशान नहीं !
पांव जमीन पर थे आसमान नजर में रहा निकला था,
मंजिल के लिए लेकिन उम्र भर सफर में रहा !
रस्ते कहाँ खत्म होते हैं जिंदगी के सफर में,
मंजिल तो वही है जहां ख्वाहिशें थम जाएँ !
जिंदगी यूँ हुई बसर तन्हा,
काफीला साथ और सफ़र तन्हा !
जिन्दगी से मौत तक के सफर को ही,
जिन्दगी कहते हैं !
मायूस हो गया हूँ जिंदगी के सफर से,
कुछ इस कदर,
कि ना खुद से मिल पा रहा हूँ ना मंजिल से !