नफरतों का सिलसिला जारी है,
लगता है दूर जाने की त्यारी है,
दिल तो पहले दे चुके हैं हम,
लगता है अब जान देने की बारी है !
कभी उसने भी हमे चाहत का पैगाम लिखा था,
सब कुछ उसने अपना हमारे नाम लिखा था,
सुना है आज उसे हमारे जिक्र से भी नफरत है,
जिसने कभी अपने दिल पर हमारा नाम लिखा था !
दिल है की मानता नहीं,
नफरत करने की बजाय प्यार,
करने की वजह ढूंढ़ता रहता है !
नफरत के बाजार में जिने का अलग ही मजा हैं,
लोग रुलाना नहीं छोड़ते और हम हँसना नहीं छोड़ते !
तेरे हर एक अक्स से नफरत होने लगी,
कुछ इस कदर हमे खुद से मोहब्बत होने लगी !
नहीं हो तुम हिस्सा अब मेरी हसरत के
तुम काबिल हो तो सिर्फ नफरत के !
जमाना वो भी था जब तुम खास थे,
जमाना ये भी है के तेरा जिक्र तक नहीं !
मोहब्बत करो तो हद से ज्यादा,
और नफरत करो तो उससे भी ज्यादा !
जो हमारी नफरत के भी लायक नहीं थे,
हम उन्ही से बेशुमार प्यार कर बैठे !
तुम उसे नफरत से क्या डराओगे,
जिसे मोहब्बत से ज्यादा नफरत ही मिली हो !
तेरी नफरत में वो दम कहाँ,
जो मेरी चाहत को कम करे !!
लेकर के मेरा नाम वो मुझे कोसता है,
नफरत ही सही पर वो मुझे सोचता तो है !
मैं काबिले नफरत हूँ तो छोड़ दे मुझे,
तू मुझसे यूँ दिखावे की मोहब्बत ना किया कर !
हाँ मुझे रस्म ए मोहब्बत का सलीका ही नहीं,
जा किसी और का होने की इजाजत है तुझे !
मिलना बिछड़ना सब किस्मत का खेल है,
कभी नफरत तो कभी दिलों का मेल है,
बिक जाता है हर रिश्ता दुनियां में,
सिर्फ दोस्ती का यहा नाँट पर सेल है !!
वो वक्त गुजर गया जब मुझे तेरी आरजू थी,
अब तू खुदा भी बन जाए,
तो मैं सजदा न करूँ !!
इतनी नफरत है उसे मेरी मोहब्बत से,
उसने अपने हाथ जला लिए,
मेरी तकदीर मिटाने के लिए !!
कोई तो हाल-ए-दिल अपना भी समझेगा,
हर शख्स को नफरत हो जरूरी तो नहीं !
मोहब्बत सच्ची हो तो कभी नफरत नहीं होती है,
अगर नफरत होती है तो मोहब्बत सच्ची नहीं होती है !
हमें बरबाद करना है तो हमसे प्यार करो
नफरत करोगे तो खुद बरबाद हो जाओगे