तुम्हें हक है अपनी दुनिया में खुश रहने का,
मेरी तो बस इतनी सी खता है,
मैंने तो तुम्हें ही अपनी दुनिया माना है !
छोड़ दिया मैंने भी किसी को परेशान करना,
जिसकी खुद मर्जी ना हो बात करने की,
उससे जबरदस्ती क्या करना !
बात यह नहीं कि अब मैं पास नहीं,
बात यह है कि अब,
उसके लिए मैं खास नहीं !
मजबूर नहीं करेंगे तुम्हें,
बात करने के लिए,
चाहत होती तो दिल तुम्हारा भी,
करता बात करने का !!