मेरे गीत सुने है दुनिया वालों ने,
लेकिन मेरा दर्द कोई जान ना सका,
एक तेरा ही तो सहारा था दिल को,
पर तू भी मुझे पहचान ना सका।

चाहा ना उसने मुझे बस देखता रहा,
मेरी ज़िंदगी से वो इस तरह खेलता रहा,
ना उतरा कभी वो मेरी ज़िंदगी की झील में,
बस किनारे पर बैठ कर पत्थर फेंकता रहा।

तेरे बिना ज़िंदगी अधूरी है मेरी,
तुम मिल जाओ तो ज़िंदगी पूरी है मेरी,
तुझसे ही ज़िंदगी की सारी खुशिया जुड़ी है,
दुसरो के साथ हसना तो मज़बूरी है मेरी।

जब बादलों में काली घटा छाएगी,
उसे याद तो हमारी जरूर आएगी,
जिसे डर ही नहीं था कभी मेरे खोने का,
उसे क्या अफ़्सोसो होगा अब मेरे रोने का।

उसे सपने दिखाने की आदत थी और हम बुनते रहे,
उसे झूठ बोलने की आदत थी और हम सुनते रहे।

जिन पर होता है हमें मान वही मुह मोड़ते हैं,
जिनके साथ जुड़े होते हैं सांस वही दिल तोड़ते हैं।

टूटा है भरोषा दूसरी बार नहीं करेंगे,
पहले की तरह इंतज़ार नहीं करेंगे,
जा अब तेरी सारी बेवफाई माफ़ हैं,
तुझपे फिर कभी भरोषा नहीं करेंगे।