अजीब मामला है मेरी शायरी का,
जिसके लिए लिखता हू उसे खबर ही नही !

गुजर गया वो वक्त जब तेरी हसरत थी मुझको,
अब तू खुदा भी बन जाए तो तेरा सजदा न करू !

हिसाब किताब न पूंछ ए जिन्दगी,
जब तूने भी सितम न गिने तो हमने भी जख्म न गिने !

तकिये के नीचे दबाकर रखे है,
तुम्हारे ख्याल बेपनाह इश्क और बहुत सारे साल !

जब मिलो किसी से तो जरा दूर का रिश्ता रखना,
बहुत तड़पाते हैं अक्सर सीने से लगाने वाले !

ये वादा है हमारा हमे जो तुझसे मोहब्बत है,
वो तुझसे ही सुरु और तुझ पे ही खत्म होगी !

बहुत खास थे कभी नजरों में किसी के हम भी,
मगर नजरों के तकाजे बदलने में देर कहाँ लगती !

मेरा दिल कभी मुझसे यूं बात ना करता था,
तेरे आने के बाद ये मुझे कुछ कहने लगा है ।

दिल से पूछो तो आज भी तुम मेरे ही हो,
ये और बात है कि किस्मत दगा कर गयी !