अपने सब यार काम कर रहे हैं,
और हम हैं कि नाम कर रहे हैं।

गवाई किस तमन्ना में ज़िन्दगी मैंने,
वो कौन है जिसे देखा नहीं कभी मैंने,
तेरा ख़याल तो है पर तेरा वजूद नहीं,
तेरे लिए ये महफ़िल सजाई मैंने।

ज़ब्त कर के हँसी को भूल गया,
मैं तो उस ज़ख़्म को ही भूल गया।

हमारे ज़ख़्म ए तमन्ना पुराने हो गए हैं,
कि उस गली में गए अब ज़माने हो गए हैं।

महक उठा है आँगन इस ख़बर से,
वो ख़ुशबू लौट आई है सफ़र से।

आखिरी बार आह कर ली है,
मैंने खुद से निबाह कर ली है,
अपने सर एक बाला तो लेनी थी,
मैंने वो ज़ुल्फ़ अपने सर ली हैं।

हम जी रहे हैं कोई बहाना किए बग़ैर,
उस के बग़ैर उस की तमन्ना किए बग़ैर।

बेदिली क्या यूंहीं दिन गुज़र जाएंगे,
सिर्फ़ जिंदा रहे हम तो मर जाएंगे।

एक हुनर है जो कर गया हूँ मैं,
सब के दिल से उतर गया हूँ मैं।

सारे रिश्ते तबाह कर आया,
दिल-ए-बर्बाद अपने घर आया,
मैं रहा उम्र भर जुड़ा खुद से,
याद मैं खुद को उम्र भर आया।

एक हुनर हैं जो कर गया हुँ मैं,
सबके दिल से उतर गया हुँ मैं,
क्या बताऊँ की मर नहीं पाता,
जीते जी जब से मर गया हुँ मैं।

दिल तमन्ना से डर गया जनाब,
सारा नशा उतर गया जनाब।

काम की बात मैंने की ही नहीं,
ये मेरा तौर-ए-ज़िंदगी ही नहीं।

यादों का हिसाब रख रहा हूँ,
सीने में अज़ाब रख रहा हूँ,
तुम कुछ कहे जाओ, क्या कहूं मैं,
बस दिल में जवाब रख रहा हूँ।

कितने ऐश से रहते होंगे कितने इतराते होंगे,
जाने कैसे लोग वो होंगे जो उस को भाते होंगे।

कैसा दिल और इस के क्या ग़म जी,
यूँ ही बातें बनाते हैं हम जी।

यूँ जो ताकता है आसमान को तू,
कोई रहता है आसमान में क्या,
यह मुझे चैन क्यों नहीं पड़ता,
एक ही शख्स था जहां में क्या।

कौन से शौक़ किस हवस का नहीं,
दिल मेरी जान तेरे बस का नहीं।

दिल-ए-बर्बाद को आबाद किया हैं मैंने,
आज मुद्दत में तुम्हे याद किया है मैंने।

नया एक रिश्ता पैदा क्यूँ करें हम,
बिछड़ना है तो झगड़ा क्यूँ करें हम।