हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पर दम निकले,
बहुत निकले मेरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले।
कुछ तो तन्हाई की रातों में सहारा होता,
तुम ना होते ना सही ज़िक्र तुम्हारा होता।
मिर्जा गालिब 19वीं सदी में भारतीय उपमहाद्वीप के प्रसिद्ध उर्दू और फारसी कवि थे। इनका जन्म 27 दिसंबर सन 1797 में हुआ और 15 फरवरी सन 1869 में इनकी मृत्यु हो गयी थी। लेकिन आज भी लोग इनकी शायरी सुनना तथा पढना पसंद करते हैं। इसीलिए आज हम इस पोस्ट में Mirza Ghalib Ki Shayari लायें हैं, जो आपको बहुत पसंद आएंगे।