तेरी नफरत को मैने प्यार समझ कर अपनाया है,
प्यार से ही नफरत खत्म होता है,
तूने ही तो समझाया है !!
कत्ल तो लाजिम है इस बेवफा शहर में,
जिसे देखो दिल में नफरत लिये फिरता है !!
नफरत की आग जो तुमने,
इस दिल में लगाई है,
तुमसे ही नही मोहब्बत,
से भी हमें शिकायत हुई है !
मैं काबिले नफरत हूँ तो छोड़ दे मुझको,
तू मुझसे यूँ दिखावे की मोहब्बत न किया कर !!
दिलों में अगर पली बेजान कोई हसरत न होती,
हम इंसानों को इंसानों से यूँ नफरत न होती !!
तेरी बेवफाई में ना नफरत हुई,
और ना ही इश्क खत्म हुआ !!
जरूरत है मुझे नये नफरत करने वालों की
पुराने तो अब मुझे चाहने लगे है !!
खुदा सलामत रखना उन्हें,
जो हमसे नफरत करते हैं,
प्यार न सही नफरत ही सही कुछ तो है,
जो वो सिर्फ हमसे करते हैं !
मुझसे नफरत करने वाले भी,
कमाल का हुनर रखते हैं,
मुझे देखना तक नहीं चाहते,
लेकिन नजर मुझपर ही रखते हैं !!
ना मेरा प्यार कम हुआ न उनकी नफरत,
अपना अपना फर्ज था दोनों अदा कर गये !
उसने मुझ से नफरत मरते दम तक,
करने की कसम खा ली है,
और मैंने भी उसे प्यार मरते दम तक,
करने की कसम खा ली है !!
वो नफरतें पाले रहे हम प्यार निभाते रहे,
लो ये जिंदगी भी कट गयी खाली हाथ सी !
नफरत मत करना मुझसे बुरा लगेगा,
बस एक बार प्यार से कह देना,
अब तेरी जरूरत नहीं !!
दिल पर न मेरे यू वार कीजिए,
छोड़ो ये नफरत थोड़ा प्यार कीजिए,
तड़पते हैं जिस कदर तेरे प्यार में हम,
कभी खुद को भी उस कदर बेकरार कीजिए !