जिंदगी के उस मोड़ पर खड़े हैं,
जहाँ यह समझ नहीं आ रहा है,
हम जिंदगी के मजे ले रहे हैं,
या जिंदगी हमारे मजे ले रही है !

अजीब तरह से गुजर रही ज़िन्दगी अपनी,
दिलों पे राज किया फिर भी मोहब्बत को तरस रहे है !

अनजान राहों पर चल रहा था,
ज़िंदगी से मुलाकात हो गई !

यहाँ सब कुछ बिकता है दोस्तों,
रहना जरा संभाल के,
बेचने वाले हवा भी बेच देते है,
गुब्बारों में डाल के !

जिंदगी इतना भी मत सीखा,
अब थोड़ा साथ भी दे दे !!

ऐ गम-ए-जिंदगी न हो नाराज,
मुझको आदत है मुस्कुराने की !

जब नादान थे तो जिंदगी के मजे लेते थे,
समझदार हुये तो जिंदगी मजे ले रही है !

“ज़िंदगी भी किताब सी होती है,
सब कुछ कह देती है खामोश रह के भी !

जरा सी ज़िंदगी है अरमान बहुत हैं,
हमदर्द नहीं कोई इंसान बहुत हैं,
दिल के दर्द सुनाएं तो किसको,
जो दिल के करीब है वो अनजान बहुत हैं !

ज़िन्दगी का मामला भी अजीब है,
साहब ठोकर देकर संभालना सिखाया !

ज़िंदगी के हर दर्द को सहता जा,
और अपनी मंज़िल की ओर बढ़ता जा !

जिन्दगी तू ही बता कैसे तुझसे प्यार करू !
तेरी हर एक सुबह मेरी उम्र कम कर देती है !

मत सोच इतना ज़िन्दगी के बारे में,
जिसने ज़िन्दगी दी है,
उसने भी कुछ तो सोचा होगा !

समंदर न सही पर एक नदी तो होनी चाहिए,
तेरे शहर में ज़िंदगी कहीं तो होनी चाहिए !