ना समझ है वो अभी मेरी बात नहीं समझेगा,
मेरी जगह नहीं है न मेरे हालात नहीं समझेगा।

मशवरा तो खूब देते हो की खुश रहा करो,
कभी खुश रहने की वजह भी दे दिया करो।

जहाँ जाना है जाओ,
तुमसे अब कोई रिश्ता थोड़ी है,
जिसके लिए मुझे छोड़ के गए हो,
वो भी कोई फरिश्ता थोड़ी है।

दर्द को छोड़ कर हार में तू राज़ी है,
भूल रहा तेरे हाथो में अभी बाज़ी है।

हाथ छूटें भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते,
वक्त की शाख से लम्हे नहीं तोड़ा करते।

सुनाऊ क्या? किस्सा थोड़ा अजीब है,
जिसने खंज़र मारा है वही दिल के करीब है।

तकलीफ़ ख़ुद की कम हो गयी,
जब अपनों से उम्मीद कम हो गईं।

तुम बदले तो हम भी कहाँ पुराने से रहे,
तुम आने से रहे तो हम भी बुलाने से रहे।

देख दर्द किसी और का,
आह दिल से निकल जाती है,
बस इतनी सी बात तो,
आदमी को इंसान बनाती है।

इतने जल्द ना सारे राज बताया करो,
बात लंबी करनी हो तो कुछ राज छुपाया करो।

हर तरीका आज़मा चुका हूँ तुम्हें मनाने का,
कहाँ से सीख के आये हो ये अंदाज रूठ जाने का।

यही तो ज़माने का उसूल है,
जरुरत हो तो खुदा, वरना बंदा फ़िज़ूल है।

एक शख्स जो इतना सताता है,
सुकून भी न जाने क्यों उसी के पास आता है।

ज़रा सी बात पर शौक करना,
मेरी आदत नहीं,
गहरी जड़ का बरगद हूँ, 
दीवार पर ऊगा पीपल नहीं।

मैं तुझे बार बार इसलिए समझता हूँ,
तुझे टुटा हुआ देखकर मैं खुद भी टूट जाता हूँ।

हम अफ़सोस क्यों करे की कोई हमे ना मिला,
अफ़सोस तो वो करे जिन्हे हम ना मिले।

मेरे तो दर्द भी औरों के काम आते है,
मैं रो पडु तो कई लोग मुस्कुराते है।

तुम्हे जो याद करता हुँ, 
मै दुनिया भूल जाता हूँ,
तेरी चाहत में अक्सर, 
मैं सभँलना भूल जाता हूँ।

दिल तो रोज कहता है मुझे कोई सहारा चाहिए,
फिर दिमाग कहता है क्या धोखा दोबारा चाहिए।

चुभता हूँ सबको कोई छूरा तो नहीं हूँ,
तुम बताते हो जितना उतना बुरा तो नहीं हूँ।