तू समझ ये बंदे प्रभु तुझसे दूर नहीं,
भक्तों को कष्ट मिले ये कान्हा को मंजूर नहीं।

जो प्रेम की पूजा करते है,
राधा-कृष्ण उनके हृदय में बसते हैं।

यदि प्रेम का मतलब सिर्फ पा लेना होता,
तो हर हृदय में राधा-कृष्ण का नाम नही होता।

संसार के लोगो की आशा न किया करना,
जब भी मन विचलित हो तो राधा-कृष्ण नाम लिया करना।

राधा-कृष्णा ही प्रेम की सबसे अच्छी परिभाषा है,
बिना कहे जो समझ में आ जाए, प्रेम ऐसी भाषा है।

जब प्रेम का सुरूर मेरे दिल पर छाता है,
मेरा हृदय चारों तरफ राधा-कृष्ण को ही पाता है।

दरबार हजारों देखे है, 
पर ऐसा कोई दरबार नहीं,
जिस गुलशन में तेरा नूर न हो, 
ऐसा तो कोई गुलजार नहीं।

श्याम तेरे मिलने का सत्संग ही बहाना है,
दुनिया वाले क्या जाने ये रिश्ता पुराना है।

प्रेम को महसूस करने वाला धन्य होता है,
वही तो राधा-कृष्ण का परम भक्त होता है।

कोई कह दो यशोदा से जाकर,
बातें अब बड़ी बनाने लगे है,
श्याम माखन चुराते-चुराते, 
अब तो दिल भी चुराने लगे है।

कर्तव्य पथ पर जाते-जाते केशव गये थे रूक,
देख दशा राधा रानी, ब्रम्हा भी गये थे झुक।

जो प्रेम को ना समझे वो तप कर ले,
मन में राधा-कृष्ण के नाम का जप कर ले।

एक तरफ साँवले कृष्ण, दूसरी तरफ राधिका गोरी,
जैसे एक-दूसरे से मिल गए हों चाँद-चकोरी।

पलकें झुकें और नमन हो जाए,
मस्तक झुके और बंदन हो जाए,
ऐसी नजर कहाँ से लाऊँ मेरे कान्हा,
कि आपको याद करूँ और दर्शन हो जाए।

कितने सुंदर नैन तेरे ओ राधा प्यारी,
इन नैनों में खो गये मेरे बांके बिहारी।

अधूरा है मेरा इश्क तेरे नाम के बिना,
जैसे अधूरी है राधा श्याम के बिना।

प्रेम से राधा-राधा जपो हो जाएगा उद्धार,
यही वो नाम है जिससे मोहन करते प्यार।

कान्हा तुझे ख्वाबों में पाकर दिल खो ही जाता है,
खुद को कितना भी रोक लूँ, प्यार हो ही जाता है।

हे कान्हा, तुम संग बीते वक़्त का,
मैं कोई हिसाब नहीं रखती,
मैं सिर्फ तुम्हारे प्रेम में जीती हूँ,
इसके बाद कोई ख्वाब नहीं रखती।

कान्हा हरदम मेरे साथ है फिर क्या कमी है,
विरह में नहीं, प्रेम की वजह से आखों में नमी है।