सब कुछ खोकर भी सिर्फ,
तुझे पाने की चाहत करता हूँ मैं,
जरा सोच तुझसे कितनी मोहब्बत करता हूँ में !

मोहब्बत आजमाना हो तो बस इतना ही काफी है,
जरा सा रुठ कर देखो कौन मनाने आता है !

यह मोहब्बत है जनाब जितना दर्द देती है,
सुकून भी उतना ही देती है !

अगर इश्क करो तो आदाब-ए-वफा भी सीखो,
ये चंद दिन की बेकरारी मोहब्बत नहीं होती !

हम इस कदर तुम पर मर मिटेंगे,
की तुम जहाँ देखोगे तुम्हे हम ही दिखेंगे !

ना जाने मुहब्बत में कितने अफसाने बन जाते हैं,
शमां जिसको भी जलाती है वो परवाने बन जाते हैं !

मोहब्बत की भी एक अजीब सी दास्तां है,
रोग भी मोहब्बत है और इलाज भी मोहब्बत !

मैं खुद हैरान हूँ तुमसे इतनी मोहब्बत क्यों है,
मुझे जब भी प्यार शब्द आता है,
चेहरा तुम्हारा ही याद आता है !

चाहे पूछ लो सवेरे से या शाम से,
ये दिल धड़कता है बस तेरे नाम से !

दुनिया में मोहब्बत कर तो सभी लेते हैं,
लेकिन उसे निभा पाना सबके बस की बात नहीं हैं !

मोहब्बत भी अजीब चीज बनायीं खुदा तूने,
तेरे ही मंदिर में तेरे ही बंदे,
तेरे ही सामने रोते हैं,
तुझे नहीं किसी और को पाने के लिए !

सच्ची मोहब्बत की एक ही निशानी है
चाहे कितना भी लड़ लें झगड़ लें,
फिर भी एक दूसरे के बगैर रह ना पाए !

खुदा ने पूछा क्या सजा दूँ उस बेवफा को,
दिल ने कहा मोहब्बत हो जाए उसे भी,
और कोई छोड़ के चले जाये उसे भी !

दिल में आने का तो रास्ता होता है पर,
जाने का नही इस लिए जब भी कोई इंसान जाता है,
दिल तोड़ कर ही जाता है !

तुम क्या जानो बेवफाई की हद ये दोस्त,
वो हमसे इश्क सीखता रहा किसी और के लिए !

हमको दिल से भी निकाला गया, फिर शहर से भी,
हमको पत्थर से भी मारा गया, और जहर से भी !

तेरी बेवफाई का गम तो नहीं,
मगर तू बेवफा है दुःख ये भी कम नहीं !

तुम नहीं मिले तो क्या हुआ,
सबक तो मिल गया !

जहाँ से जी ना लगे तुम वहीं बिछड़ जाना,
मगर खुदा के लिए बेवफाई ना करना !

बेवफा तो वो खुद हैं,
पर इल्ज़ाम किसी और को देते हैं,
पहले नाम था मेरा उनके लबों पर,
अब वो नाम किसी और का लेते हैं !