मशवरा तो खूब देते हो की खुश रहा करो,
कभी खुश रहने की वजह भी दे दिया करो।

इतने जल्द ना सारे राज बताया करो,
बात लंबी करनी हो तो कुछ राज छुपाया करो।

दिल तो रोज कहता है मुझे कोई सहारा चाहिए,
फिर दिमाग कहता है क्या धोखा दोबारा चाहिए।

चुभता हूँ सबको कोई छूरा तो नहीं हूँ,
तुम बताते हो जितना उतना बुरा तो नहीं हूँ।

शाम से आँख में नमी सी है,
आज फिर आप की कमी सी है।

रुतबा कम है मगर लाज़वाब है मेरा,
जो हर किसी के दर पर दस्तक दे,
वो किरदार नहीं है मेरा।

इतनी सी ज़िन्दगी है पर ख्वाब बहुत है,
जुर्म तो पता नहीं साहब पर इल्जाम बहुत है।

हम अपनी इस अदा पर गुरुर करते है,
किसी से प्यार हो या नफरत भरपूर करते है।

हवा गुज़र गयी पत्ते थे कुछ हिले भी नहीं,
वो मेरे शहर में आये भी और मिले भी नहीं।

ख़ुदा तूने तो लाखो की तकदीर संवारी है,
मुझे दिलासा तो दे की अब तेरी बारी हैं।

सच्ची मेरी दोस्ती आजमा के देख लो,
करके याकिन मुह पर मेरे पास आ कर देख लो।

तिनका सा मैं और समुंदर सा इश्क़,
डूबने का डर और डूबना ही इश्क़।

पूछा जो हमने किसी और के होने लगे हो क्‍या,
वो मुस्कुरा कर बोले पहले तुम्हारे थे क्या।

वो मोहब्बत भी तुम्हारी थी,
वो नफ़रत भी तुम्हारी थी,
हम अपनी वफ़ा का इंसाफ किससे मांगते,
वो शहर भी तुम्हारा था,
वो अदालत भी तुम्हारी थी।

दिन कुछ ऐसे गुजारता है कोई,
जैसे एहसान उतारता है कोई।

इस दौर के लोगो में वफ़ा ढूंढ रहे हो,
बड़े नादान हो साहब,
ज़हर की शीशी में दवा ढूंढ रहे हो।

आज भी गुलज़ार साहब की शायरियां हमारे दिलों को छू जाती है। उम्मीद है आपको गुलज़ार साहब की ये शायरियां पसंद आएगी खासकर Gulzar Ki Do Line Shayari आपको बेहद पंसद आएंगी।

तुम्हे जो याद करता हुँ, 
मै दुनिया भूल जाता हूँ,
तेरी चाहत में अक्सर, 
मैं सभँलना भूल जाता हूँ।

अपनी ख्वाहिशों को कुर्बान करते देखा है,
कभी गुस्सा करते हुए भी प्यार जताते देखा है,
बच्चों का पेट भरते भरते खुद ख़ाली पेट सोते देखा है,
ऐसा एक फ़रिश्ता मैंने अपनी माँ के रूप में देखा है।

माँ तो जन्नत का फूल है,
प्यार करना तो उसका उसूल है,
दुनिया की सारी मोहब्बत फ़िज़ूल है,
माँ के कदमो की मिट्टी जन्नत की धूल है।