जिन्दगी मेरी जिन्दगी न होती,
अगर गम छुपाकर बेवजह,
मुस्कुराने की आदत न होती ।
ऐ मेरे सनम तुम्हें किस किस तरह से,
छुपाऊँ मैं मेरी मुस्कान में भी,
नजर आने लगे हो अब तो तुम !
गम न जाने कहां छोड़ आए हम,
अब तो रिवाज सिर्फ मुस्कुराने का है !
चाहत की हसरत पूरी हो या न हो,
मुस्कुराहट को जिन्दा रखना जरूरी है ।
अगवा कर लिया है सूरज को बादलों ने !
बदले में तुम्हारी मुस्कान मांग रहे हैं !
है इश्क तो फिर असर भी होगा,
जितना है इधर उधर भी होगा ।
अब और क्या लिखूं उसकी प्यारी मुस्कान के बारे में,
बस कुछ यूं समझ लो की,
चमकता चांद है लाखों सितारों के बीच में !
मिल नहीं पाता तो क्या हुआ,
मोहब्बत तो तुमसे फिर भी बेहिसाब करता हूं ।
जिसे सोच कर ही चहरे पर खुशी आ जाये,
वो खूबसूरत एहसास हो तुम ।
तेरे इश्क में में इस तरह नीलाम हो जाऊँ,
आखरी हो तेरी बोली और में तेरे नाम हो जाऊ ।
मुझे बस तू चाहिये,
ये मत पूछ क्यों चाहिए !
तुम्हें दिल में हजार बार याद करता हूँ,
मैं तुम्हें तुमसे ज्यादा प्यार करता हूँ ।
दूरियों से ही एहसास होता है की,
नज्दिकिया कितनी खास होती हैं ।
कहने को तो मेरा दिल एक है लेकिन,
जिसको दिल दिया है वो हजारो में एक है।
मेरी जिन्दगी मेरी जान हो तुम,
मेरी सुकून का दूसरा नाम हो तुम ।
तुम्हारा तो गुस्सा भी इतना प्यारा है की,
दिल करता है दिनभर तुम्हे तंग करता रहूँ ।
आप की खा़तिर अगर हम लूट भी लें आसमाँ,
क्या मिलेगा चंद चमकीले से शीशे तोड़ के !
कोशिश बहुत कि- की राज-ए-मोहब्बत बयां न हो,
पर मुमकिन कहां है के आग लगे और धुंआ न हो ।
मैं गलती करूँ तब भी मुझे सीने से लगा ले,
कोई ऐसा चाहिये जो मेरे हर नखरे उठा ले।
अजीब हुनर है ये मेरे हाथों में शायरी का,
मैं बरबादियाँ लिखता हूँ और लोग वह वह करते हैं ।