अजब तेरी है ऐ महबूब सूरत !
नजर से गिर गए सब खूबसूरत !

लोग मेरी शायरी की तारीफ कर रहे है !
लगता है दर्द अच्छा लिखने लगी हूं मैं !

तेरे हुस्न का दीवाना तो हर कोई होगा,
लेकिन मेरे जैसी दीवानगी हर किसी में नहीं होगी !

मुझे देखकर शर्म से नजरें चुरा लेती है वो,
उसे बेवफा न समझ लूं इसलिए,
चेहरे से जुल्फों को हटा जरा सा मुस्कुरा देती है वो !

ये दरिया-ए-इश्क है, कदम जरा सोच के रखना,
इस में उतर कर किसी को किनारा नहीं मिला !

पंछी ने जब जब किया पंखों पर विश्वास,
दूर दूर तक हो गया उसका ही आकाश !

कितने मासूम होते है ये आँखों के आँसू भी,
ये निकलते भी उन के लिए है,
जिन्हे इनकी परवाह तक नहीं होती !

सजा कोई भी दो मगर नजर के सामने रहो,
क्योंकि तुम्हारे बिना जीने की आदत नहीं मुझे !

नजर चाहती है दीदार करना,
दिल चाहता है प्यार करना,
क्या बताऊँ इस दिल का आलम,
नसीब में लिखा है इंतजार करना !

समझने ही नहीं देती सियासत हम को सच्चाई,
कभी चेहरा नहीं मिलता कभी दर्पन नहीं मिलता !

आज कुछ और नहीं बस इतना सुनो,
मौसम हसीन है लेकिन तुम जैसा नहीं !

वो हमें खुद इतना मजबूर कर गए,
ना चाहकर भी हमें खुद से दूर कर गए,
दिल इबादत करता था जिनकी सबसे,
वो ना जाने कैसे मौसम की तरह बदल गए !

शायरों की बस्ती में कदम रखा तो जाना,
गमों की महफिल भी कमाल की जमती है !

में खुद हैरान हूँ की इतनी मोहब्बत क्यों है मुझे तुझसे,
जब भी प्यार शब्द आता है,
चेहरा तेरा ही याद आता है !

तन्हाइयों का एक अलग ही सुरुर होता है,
इसमें डर नहीं होता.किसी से बिछड जाने का !

तुम से मिल कर इमली मीठी लगती है,
तुम से बिछड़ कर शहद भी खारा लगता है !

अदा कातिल बयां कातिल ज़ुबान कातिल निगाह कातिल,
तुम्हारा सिलसिला शायद किसी कातिल से मिलता है !

कितने मासूम होते है ये आँखों के आँसू भी,
ये निकलते भी उन के लिए हैं,
जिन्हे इनकी परवाह तक नहीं होती !

वो कातिल रातें जब हम,
तारों की बातें करते थे,
पतझड़ के सूने मौसम मे,
बहारों की बातें करते थे !

मोहब्बत का दर्द भी क्या खूब होता है,
न चुभता है न दिखता है बस महसूस होता है।