आज कुछ अजनबी सा अपना वजूद लगता है,
साथ हैं सब मगर दिल क्यों अकेला सा लगता है !
तुझसे दूर जाने के बाद तन्हा तो हूँ लेकिन,
तसल्ली बस इतनी सी है,
अब कोई फरेब साथ नहीं !
शायद वो बेहतर की तलाश में है,
और हम तो अच्छे भी नही है !
तेरी मुहब्बत पर मेरा हक तो नही पर दिल चाहता है,
आखरी सास तक तेरा इंतजार करू !
जो अकेले रहना सीख जाते है,
उन्हें फिर किसी और की जरुरत नहीं पड़ती !
हालात खराब हो तो अपने ही,
गैरो के जैसा बर्ताव करने लगते है !
यूँ तो हर रंग का मौसम मुझसे वाकिफ है मगर,
रात की तन्हाई मुझे कुछ अलग ही जानती है !
बारिश की हर एक बूंद को पता है
कि अकेलापन क्या होता है !
बस मेरी एक आखरी दुआ कबूल हो जाए
इस टूटे दिल से तेरी यादे दूर हो जाए !
कहने लगी है अब तो मेरी तन्हाई भी मुझसे
मुझसे कर लो मोहब्बत मैं तो बेवफा भी नहीं !
खुद से ही बातें हो जाती है अब तो,
लोग वैसे भी कहा सुनते है आज कल !
ए दिल जिसके दिल में तेरे लिए
कोई जगह ही नहीं है,
वही तेरे लिए खास क्यों है !
जिंदगी में कुछ गलत लोगों ने,
आकर हमें जिंदगी का,
सही सबक सिखा दिया !
छुपी होती है लफ्जों में गेहरी राज की बातें,
लोग शायरी या मजाक समझ के बस मुस्कुरा देते हैं !
अब वही होगा जो दिल चाहेगा,
आगे जो होगा देखा जायेगा !
मंजिले क्या है रास्ता क्या है,
हौसला हो तो फासला क्या है !
अब हवाएँ ही करेंगी रौशनी का फैसला,
जिस दिए में जान होगी वो दिया रह जाएगा !
जो तूफानों में पलते जा रहे हैं,
वही दुनिया बदलते जा रहे हैं !
सीढीयाँ उन्हें मुबारक हो,
जिन्हें छत तक जाना हो,
हमारी मंजिल तो आसमान है,
और रास्ता हमें खुद बनाना है !
अकेले चलने का साहस रखो जनाब,
कामयाबी एक दिन आपके कदमो में होगी !