हर वक्त तुम्हारी याद आती है,
गुजरे हुआ वक्त याद दिलाती है,
चल देते हैं ऐ कदम मेरे,
सुनता है ऐ दिल जब नाम तेरा !

कैसे बदल लूँ ये आदत मैं अपनी,
कि मुझे तुझे याद करने की आदत हो गई है !

तनहाई में इतना क्यों याद आती हो,
थोड़ा मुझे चैन से भी सो लेने दिया करो !

जुबां को रोको तो आँखों में झलक आता है,
ये जज्बा-ए-इश्क है जनाब इसे सब्र कहाँ आता है !

अगर मोहब्बत नही थी तो बता दिया होता,
इस दिल को टूटने से बचा लिया होता !

मुझे छोड़कर वो खुश है तो शिकायत कैसी,
अब मैं उन्हें खुश भी ना देखूं तो मोहब्बत कैसी !

जिन्दगी की हकीकत बस इतनी सी है,
की इंसान पल भर में याद बन जाता है !

अपनी तन्हाई में तनहा ही अच्छा हूँ
मुझे जरूरत नहीं दो पल के सहारो की !

लोग कहते है हर दर्द की एक हद होती है,
शायद उन्होंने मेरा हदों से गुजरना नहीं देखा !

शिकायत तों मुझे खुद से है,
तुझसे तो आज भी इश्क है !

हादसे जान तो लेते हैं मगर सच ये है,
हादसे ही हमें जीना भी सीखा देते हैं !

देख कर उसको तेरा यूँ पलट जाना,
नफरत बता रही है तूने मोहब्बत गजब की थी !

मेरी कोशिश हमेशा से ही नाकाम रही,
पहले तुझे पाने की अब तुझे भुलाने की !

दर्द जो बेहिसाब दिया है आपने,
काश प्यार भी ऐसा ही किया होता !

वो आज फिर से मिले अजनबी बनकर,
और हमें आज फिर से मोहब्बत हो गई !

ये हवाए उड़ा ले गयी मेरी सारी खुशिया,
ऐसा लगता है मुझपे हँस रही है सारी दुनियां !

आज मैंने तलाश किया उसे अपने आप में,
वो मुझे हर जगह मिला मेरी तकदीर के सिवा !

दुश्मनो की अब किसे जरूरत है,
अपने ही काफी है दर्द देने के लिए !

​नाराजगी चाहे कितनी भी क्यो न हो तुमसे,
तुम्हें छोड़ देने का ख्याल हम आज भी नही रखते !

जरा सा भी नही पिघलता दिल तेरा,
इतना कीमती पत्थर कहाँ से खरीदा है !