भूल न जाऊं माँगना उसे हर नमाज के बाद
यही सोच कर हमने नाम उसका दुआ रक्खा है !
कोई जख्म देते रहा हम हंसके सहते रहे,
भला हो जाए उसका हम दुआ देते रहे !
सच तो यह है कि दुआ ने न दवा ने रखा,
हमको जिंदा तेरे दामन की हवा ने रखा !
मांगी है दुआ इस यकीन के साथ,
कट जाए मेरी जिंदगी इस बेवफा के साथ !
ना जाने कौन मेरे हक में दुआ करता है,
डूबता भी हु तो समुन्दर उछाल देता है !
सख्त राहों में भी आसान सफर लगता है,
यह मेरी मां की दुआओं का असर लगता है !
मुश्किल राहों में जो आसान सफर लगता है,
ये मेरे माँ और बाप की दुआओं का असर लगता है !
यकीं और दुआ नजर नहीं आती मगर,
नामुमकिन को मुमकिन बना देती !
वो आ गए मिलने हमसे एक शाम तन्हाई मिटाने,
और हम समझ बैठे इसे अपनी दुआओं का असर !
दुआ को केवल दुखों में,
मांगने के लिए नहीं,
बल्कि जीने का तरीका बनाओ !
माँगा करेंगे अब से दुआ हिज्र-ए-यार की,
आखिर को दुश्मनी है दुआ की असर के साथ !
दुआएँ मिल जाये यही काफी है,
दवाए तो कीमत अदा करने पर मिल ही जाती हैं !
हमने चाहा आपको आपने चाहा किसी और को,
हमारी दुआ है की खुदा न करे तुम्हे चाहने वाला,
कभी चाहे किसी और को !
मंजिल भी उसकी थी रास्ता भी उसका था,
एक हम अकेले थे काफिला भी उसका था !
वो एक मुकम्मल गजल है,
टूटा हुआ मैं हर्फ हूँ
उसमे भरी नूरानीयत,
और मैं जरा कमज़र्फ हूँ !
ऐसा कोई जिंदगी से वादा तो नही था,
तेरे बिना जीने का इरादा तो नही था !
बड़ा गजब किरदार है मोहब्बत का,
अधूरी हो सकती है मगर खत्म नहीं !
जागना भी काबुल है तेरी यादों में रातभर,
तेरे अहसासों में जो सुकून है वो नींद में कहाँ !
वो शख्स जो कभी मेरा था ही नही,
उसने मुझे किसी और का भी,
नही होने दिया !
कोई समझे तो,
एक बात कहूँ साहब,
तनहाई सौ गुना बेहतर है,
मतलबी लोगों से !