तुमने वफा करना नहीं सीखा ना सही,
हम दुआ करते हैं कि तुम्हे कोई बेवफा ना मिले !
उसकी नफरत का जहर इतना चढ़ गया है ,
की अब किसी की भी मोहब्बत का स्वाद नहीं चढ़ता ।
आईना मेरा मेरे अपनों से बढ़कर निकला,
जब भी मैं रोया कमबख्त मेरे साथ ही रोया !
कोई जंजीर नहीं फिर भी गिरफ्त मे तेरी रहता हूँ
खता कोई नहीं फिर भी मुजरिम बना रहता हूँ !
नींद तो ठीक ठाक आई पर जैसे ही आँख खुली,
फिर वही जिन्दगी और वो पगली याद आई !
बहुत खूबसूरत वो रातें होती हैं,
जब तुमसे दिल की बातें होतीं हैं !
तेरे हुस्न को परदे की जरुरत ही क्या है,
कौन होश में रहता है तुझे देखने के बाद !
अपने हाथों से तेरी मांग सजाऊं
तुझे मैं मेरी किस्मत बनाऊं
हवा भी बीच से गुज़र ना सके
हो इजाजत तो इतने करीब आऊं !
पहली मोहब्बत मेरी हम जान न सके,
प्यार क्या होता है हम पहचान न सके,
हमने उन्हें दिल में बसा लिया इस कदर कि,
जब चाहा उन्हें दिल से निकाल न सके !
तुम बिन सांसे तो चलती हैं,
लेकिन महेसूस नहीं होती !
शौक तो नहीं अब मोहब्बत का हमें,
पर नजरें तुमसे मिली तो हम भी शौकीन हो गये !
शोर न कर धड़कन जरा थम जा कुछ पल के लिए
बड़ी मुश्किल से मेरी आँखों में उनका ख्वाब आया है !
खुद ही रोए और खुद ही चुप हो गए,
ये सोचकर की कोई अपना होता तो रोने ना देता !
जहर देता है कोई, कोई दवा देता है,
जो भी मिलता है मेरा दर्द बढ़ा देता है !!
गमो का बाजार खाली पड़ा है,
क्यूंकि यहाँ हर किसी के पास गम जो पड़ा है !
वो नाराज हैं हमसे की हम कुछ लिखते नहीं,
कहाँ से लाएं लफ्ज़ जब हमको मिलते नहीं,
दर्द की ज़ुबान होती तो बता देते शायद,
वो जख्म कैसे दिखाए जो दिखते नहीं !
गम को आँसू बनकर बहने न दिया,
कुछ इस तरह मैंने खुद को ठोकरों में भी,
खुद को सम्भाल लिया !
इंसान खुशी में बहक जाता है,
लेकिन धोका खाकर संभल जाता है।
शायरी में सिमटते कहाँ हैं दिल के दर्द दोस्तों,
बहला रहे हैं खुद को जरा फोन के साथ !!
कौन कहता है नफरतों में गम होता है,
कुछ मोहब्बत बड़ी कमाल की होती है ।