हम जी रहे हैं कोई बहाना किए बग़ैर,
उस के बग़ैर उस की तमन्ना किए बग़ैर।

बेदिली क्या यूंहीं दिन गुज़र जाएंगे,
सिर्फ़ जिंदा रहे हम तो मर जाएंगे।

एक हुनर है जो कर गया हूँ मैं,
सब के दिल से उतर गया हूँ मैं।

सारे रिश्ते तबाह कर आया,
दिल-ए-बर्बाद अपने घर आया,
मैं रहा उम्र भर जुड़ा खुद से,
याद मैं खुद को उम्र भर आया।

अपने सब यार काम कर रहे हैं,
और हम हैं कि नाम कर रहे हैं।

दिल तमन्ना से डर गया जनाब,
सारा नशा उतर गया जनाब।

काम की बात मैंने की ही नहीं,
ये मेरा तौर-ए-ज़िंदगी ही नहीं।

यादों का हिसाब रख रहा हूँ,
सीने में अज़ाब रख रहा हूँ,
तुम कुछ कहे जाओ, क्या कहूं मैं,
बस दिल में जवाब रख रहा हूँ।

कितने ऐश से रहते होंगे कितने इतराते होंगे,
जाने कैसे लोग वो होंगे जो उस को भाते होंगे।

कैसा दिल और इस के क्या ग़म जी,
यूँ ही बातें बनाते हैं हम जी।

यूँ जो ताकता है आसमान को तू,
कोई रहता है आसमान में क्या,
यह मुझे चैन क्यों नहीं पड़ता,
एक ही शख्स था जहां में क्या।

कौन से शौक़ किस हवस का नहीं,
दिल मेरी जान तेरे बस का नहीं।

दिल-ए-बर्बाद को आबाद किया हैं मैंने,
आज मुद्दत में तुम्हे याद किया है मैंने।

नया एक रिश्ता पैदा क्यूँ करें हम,
बिछड़ना है तो झगड़ा क्यूँ करें हम।

एक हुनर हैं जो कर गया हुँ मैं,
सबके दिल से उतर गया हुँ मैं,
क्या बताऊँ की मर नहीं पाता,
जीते जी जब से मर गया हुँ मैं।

भरोसा जितना कीमती होता है,
धोखा उतना ही महँगा हो जाता है।

आज शाम हुई कल फिर सूरज निकलेगा,
भरोसा रख अपने आप पर हर पल तू निखरेगा।

भरोसा क्या करना गैरो पर,
जब खुद गिरके चलना है अपने ही पैरो पर।

​इस मतलबी दुनिया में ​किसी पर भरोसा मत ​करना,
इश्क और धोखे में ​अपना जीवन बेकार मत करना।

भरोसा दूसरों पर रखो तो गम दे जाता हैं,
भरोसा ख़ुद पर रखो तो ताकत बन जाता हैं।