प्रेम से राधा-राधा जपो हो जाएगा उद्धार,
यही वो नाम है जिससे मोहन करते प्यार।

अधूरा है मेरा इश्क तेरे नाम के बिना,
जैसे अधूरी है राधा श्याम के बिना।

कितने सुंदर नैन तेरे ओ राधा प्यारी,
इन नैनों में खो गये मेरे बांके बिहारी।

पलकें झुकें और नमन हो जाए,
मस्तक झुके और बंदन हो जाए,
ऐसी नजर कहाँ से लाऊँ मेरे कान्हा,
कि आपको याद करूँ और दर्शन हो जाए।

एक तरफ साँवले कृष्ण, दूसरी तरफ राधिका गोरी,
जैसे एक-दूसरे से मिल गए हों चाँद-चकोरी।

जो प्रेम को ना समझे वो तप कर ले,
मन में राधा-कृष्ण के नाम का जप कर ले।

तू समझ ये बंदे प्रभु तुझसे दूर नहीं,
भक्तों को कष्ट मिले ये कान्हा को मंजूर नहीं।

कोई कह दो यशोदा से जाकर,
बातें अब बड़ी बनाने लगे है,
श्याम माखन चुराते-चुराते, 
अब तो दिल भी चुराने लगे है।

प्रेम को महसूस करने वाला धन्य होता है,
वही तो राधा-कृष्ण का परम भक्त होता है।

श्याम तेरे मिलने का सत्संग ही बहाना है,
दुनिया वाले क्या जाने ये रिश्ता पुराना है।

दरबार हजारों देखे है, 
पर ऐसा कोई दरबार नहीं,
जिस गुलशन में तेरा नूर न हो, 
ऐसा तो कोई गुलजार नहीं।

जब प्रेम का सुरूर मेरे दिल पर छाता है,
मेरा हृदय चारों तरफ राधा-कृष्ण को ही पाता है।

राधा-कृष्णा ही प्रेम की सबसे अच्छी परिभाषा है,
बिना कहे जो समझ में आ जाए, प्रेम ऐसी भाषा है।

संसार के लोगो की आशा न किया करना,
जब भी मन विचलित हो तो राधा-कृष्ण नाम लिया करना।

यदि प्रेम का मतलब सिर्फ पा लेना होता,
तो हर हृदय में राधा-कृष्ण का नाम नही होता।

जो प्रेम की पूजा करते है,
राधा-कृष्ण उनके हृदय में बसते हैं।

कर्तव्य पथ पर जाते-जाते केशव गये थे रूक,
देख दशा राधा रानी, ब्रम्हा भी गये थे झुक।

“राधा” के सच्चे प्रेम का यह ईनाम हैं,
कान्हा से पहले लोग “राधा” का लेते नाम हैं।

नन्दलाल की मोहनी सूरत दिल में बसा रखे हैं,
अपने जीवन को उन्ही की भक्ति में लगा रखे हैं,
एक बार बाँसुरी की मधुर तान सुनादे कान्हा,
हम एक छोटी सी आस लगा रखे हैं।

मधुवन में भले ही कान्हा किसी गोपी से मिले,
मन में तो राधा के ही प्रेम के फूल खिले।