जितनी आसानी से लोग नैना जोड़ लेते हैं,
उतनी ही आसानी से दिल का रिश्ता तोड़ देते हैं।

मोहब्बत मुकद्दर है कोई ख़्वाब नहीं,
ये वो अदा है जिसमें हर कोई कामयाब नहीं,
जिन्हें मिलती है मंज़िल मोहब्बत में वो खुश है,
मगर जो पागल हुए उनका कोई हिसाब नहीं।

जान से ज्यादा प्यार उन्हें किया करते थे,
याद उन्हें हम दिन रात किया करते थे,
अब उन राहों से गुज़रा नहीं जाता,
जहाँ बैठकर उनका इंतजार किया करते थे।

दर्द को अब खुद दर्द होने लगा है,
दर्द अपने गम पे खुद रोने लगा है,
अब हमें दर्द से दर्द नहीं लगेगा,
क्योंकि दर्द हमको छूकर खुद सोने लगा है।

प्यार किया तुझको दिलो जान से,
इस दिल में तुमको इस कदर बसा लिया,
भुला ना पाया है ये दिल तुझको आज तक,
लेकिन तुमने तो इस दिल को रुला दिया।

सांसो का ये पिंजरा किसी दिन टूट जाएगा,
ये मुसाफिर किसी राह में छूट जाएगा,
अभी जिन्दा हु तो बात कर लिया करो,
क्या पता कब हम से ये खुदा रूठ जाएगा।

किसी की चाहत पे ज़िंदा रहने वाले हम ना थे,
किसी पर मर मिटने वाले हम ना थे,
आदत सी पड़ गयी थी तुम्हे याद करने की,
वरना किसी को याद करने वाले हम ना थे।

मेरी जिंदगी में एक शख्स इतना अहम हो गया,
उसे हमसे मोहब्बत है ये हमें वहम हो गया।

पास आकर सभी दूर चले जाते हैं,
हम अकेले थे और अकेले ही रह जाते हैं,
इस दिल का दर्द दिखाएँ भी तो किसे,
मरहम लगाने वाले ही जखम दे जाते हैं।

जानने की कोशिश की थी हमने तुमको,
पर तुमने कभी मुझ पर ध्यान ना दिया,
गैरों पर तुम्हे गहरा विश्वास था,
जिसने अपना समझा उस पर ऐतबार ना किया।

हंसते हुए अब जख्मों को भूलाने लगे हैं,
हर दर्द के निशान को हम मिटाने लगे हैं।

हमारे बिना तुम अधूरे रहोगे,
कभी चाहा किसी ने ये खुद तुम कहोगे,
हम ना होंगे तो ये आलम भी ना होगा,
मिलेंगे बहुत पर हम सा कोई पागल ना होगा।

रोने की सज़ा न रुलाने की सज़ा है,
ये दर्द मोहब्बत को निभाने की सज़ा है।

दर्द बनकर दिल में छुपा कौन है,
रह रह कर इसमें चुभता कौन है,
एक तरफ दिल है और एक तरफ आइना,
देखते है इस बार पहले टूटता कौन है।

ये मोहब्बत के हादसे अक्सर,
दिलों को तोड़ देते हैं,
तुम मंजिल की बात करते हो,
लोग बीच राहों में ही साथ छोड़ देते हैं।

आरजू नहीं की ग़म का तूफान टल जाए,
फ़िक्र तो ये है की तेरा दिल न बदल जाए,
भुलाना हो अगर मुझको तो एक एहसान करना,
दर्द इतना देना कि मेरी जान निकल जाए।

मेरे गीत सुने है दुनिया वालों ने,
लेकिन मेरा दर्द कोई जान ना सका,
एक तेरा ही तो सहारा था दिल को,
पर तू भी मुझे पहचान ना सका।

चाहा ना उसने मुझे बस देखता रहा,
मेरी ज़िंदगी से वो इस तरह खेलता रहा,
ना उतरा कभी वो मेरी ज़िंदगी की झील में,
बस किनारे पर बैठ कर पत्थर फेंकता रहा।

तेरे बिना ज़िंदगी अधूरी है मेरी,
तुम मिल जाओ तो ज़िंदगी पूरी है मेरी,
तुझसे ही ज़िंदगी की सारी खुशिया जुड़ी है,
दुसरो के साथ हसना तो मज़बूरी है मेरी।

जब बादलों में काली घटा छाएगी,
उसे याद तो हमारी जरूर आएगी,
जिसे डर ही नहीं था कभी मेरे खोने का,
उसे क्या अफ़्सोसो होगा अब मेरे रोने का।